कविता: चिंग-तम अमातनि

अचानक उसे घेर लिया
एक उन्मादी भीड़ ने
जिसकी आँखो में था खून और
हाथों में थे धारदार हथियार
‘कौन हो तुम?’
वह भीतर तक काँप उठी
रोम-रोम सिहर उठा
थर-थर कांपती हथेलियों ने
पीठ पर लदे शिशु को जकङ लिया
‘माँ.... माँ हूँ मैं’!
‘नहीं! ठीक से बताओ- कौन हो तुम’?
अधिसंख्य भीड़ युवा थी
कम्पित होठों ने साहस जुटाया
‘बहन हूँ...... मैं’ !
भयाकुल आवाज लङखङाने लगी
‘सच-सच बताओ नहीं तो...’
डबडबाई आँखों के सम्मुख मौत नाच उठी
भीङ में था एक वृद्ध भी
उसने देखा– एक आखिरी उम्मीद
‘बेटी हूँ मैं.....’! वह चिल्लाई
अवगुंठित रुदन अश्रु बन बह निकला
‘साली कब से बकवास कर रही है
‘कुकी’ है ये.. थौबल के इस पार
भीङ से शोर उठा
‘मेतई’ है ये…थौबल के उस पर
एक और उन्मादी भीङ
घेरे खङी थी, एक और शिकार
‘नहीं नहीं मैं......’
ह्रदय विदारक चीखें
थौबल के इस पार, थौबल के उस पार
राक्षसी अट्टहास में हो गई तिरोभूत !
भीड टूट पड़ी
एक व्यंजन पर
एक निरीह विजातीय शिकार पर
एक देह -एक स्त्री देह पर!
हरी-भरी घाटियां सिसक उठी
‘थौबल’ का सीना फट पड़ा
अंतिम उच्छवास से पहले
बंद होती आँखों ने, देखा-दूर बहुत दूर
‘थौबल’ के शिखरों पर
चिथङे- चिथङे ‘चिंग-तम अमातनि’!
@ दयाराम वर्मा जयपुर राजस्थान
‘थौबल’: मणिपुर के थौबल जिले की एक पहाङी
‘चिंग-तम अमातनि’: एक नारा जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘मणिपुर -घाटी और पहाड़ियों से मिलकर बना है और राज्य के ये दोनों हिस्से कभी अलग नहीं हुए’
Publication: सत्य की मशाल (अगस्त 2024), पी.एन.बी.
प्रतिभा (April-Jun 2023)
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