शहीद दिवस 23 मार्च, 2025 जयपुर


सभागार में शहीदों के परिजनों का सामूहिक छवि चित्र


“साथियों, स्वाभाविक है जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए. मैं इसे छिपाना नहीं चाहता हूं, लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि कैद होकर या पाबंद होकर न रहूं. मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है. क्रांतिकारी दलों के आदर्शों ने मुझे बहुत ऊंचा उठा दिया है, इतना ऊंचा कि जीवित रहने की स्थिति में मैं इससे ऊंचा नहीं हो सकता था. मेरे हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ने की सूरत में देश की माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह होने की उम्मीद करेंगी. इससे आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना नामुमकिन हो जाएगा. आजकल मुझे खुद पर बहुत गर्व है. अब तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतजार है. कामना है कि यह और नजदीक हो जाए.” जेल से अपने साथियों को लिखा गया भगत सिंह का आखिरी खत.

आज ही के दिन यानि 23 मार्च, सन 1931 में लाहौर की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल जेल में सुखदेव और राजगुरु के साथ शहीद-ए-आजम भगतसिंह को फाँसी दी गई. उस समय भगत सिंह की उम्र 24 वर्ष से भी कम थी. अंतिम समय, उनकी माँ विद्यावती उनसे जेल में मिली तो रुआंसी हो गई, बोली-‘बेटा भगत, तू इतनी छोटी उम्र में मुझे छोङकर चला जाएगा.’

भगतसिंह ने उत्तर दिया, ‘बेबे, मैं देश में एक ऐसा दीया जला रहा हूँ, जिसमें न तो तेल है और न ही घी. उसमें मेरा रक्त और विचार मिले हुए हैं, अंग्रेज मुझे मार सकते हैं, लेकिन मेरी सोच व मेरे विचारों को नहीं, और जब भी अन्याय व भ्रष्टाचार के खिलाफ जो भी शख्स तुम्हें लङता हुआ नजर आए, वह तुम्हारा भगत होगा,’

इतिहास गवाह है, उन्होंने कभी भी न तो माफी मांगी न ही सजा में रियायत की मांग की, बल्कि अंग्रेजों को ललकारते हुए लिखा,

“तुझे जिबह करने की खुशी और मुझे मरने का शौक है
है मेरी भी मरजी वही जो मेरे सैयाद की है.”


इन तीन क्रांतिकारियों की शहादत के दिन (23 मार्च) को ही पूरे देश में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष, जयपुर में ‘तोतुक भवन, भट्टारक जी के जैन नसियाँ’, नारायण सिंह सर्किल पर, ‘भारत सेवा संस्थान’ और ‘शहीद दिवस योजना समिति जयपुर’ के तत्वाधान में शहीद दिवस का आयोजन एक अनूठे अंदाज में किया गया. इस बार देश भर से शहीदों के लगभग 40 परिजनों को निमंत्रित किया गया. इन शहीदों में, जहाँ बहुत से नाम सुपरिचित थे तो बहुत से गुमनाम भी थे.

कार्यक्रम में इन शहीदों के बारे में और जंग-ए-आजादी में उनके योगदान के बारे में, जानने और सुनने को मिला. प्रमुख शहीदों में, आखिरी मुगल बादशाह, बहादुर शाह ज़फ़र, झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई, नाना साहब पेशवा, मंगल पांडे, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, राजेंद्र लाहिड़ी, सुखदेव, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त, उधम सिंह, सुभाष चंद्र बोस के साथ-साथ राजस्थान की वीर प्रसूता धरती के शहीद प्रताप सिंह बारहठ, विजय सिंह पथिक, राव गोपाल सिंह, अर्जुन लाल सेठी और राजू सिंह रावत आदि के परिजन शामिल थे.

मंच पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, BRBSS फाउंडेशन के संस्थापक पद्म भूषण श्री डी.आर. मेहता, दैनिक नवज्योति के संस्थापक श्री दीनबंधु चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रवीण चंद्र छाबङा, वॉटरमेन के नाम से मशहूर श्री राजेंद्र सिंह, प्रसिद्ध इतिहासकार-लेखक और ‘द क्रेडिबल हिस्ट्री’-यू-ट्यूब चैनल के फाउंडर श्री अशोक पाण्डेय, भारत सेवा संस्थान के सचिव श्री जी.एस.बाफ़ना और भारत सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्री राजीव अरोङा आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही.

सभाकक्ष के प्रवेश द्वार पर जाने अनजाने शहीदों की एक सुंदर चित्र प्रदर्शनी मुख्य आकर्षण का केंद्र थी. यह शहीद स्मारक हनुमानगढ़ टाउन और एडवोकेट शंकर सोनी जी के सद् प्रयासों से हो रहा था. उनकी https://patriotsofindia.com नामक एक वेबसाइट है, जिसमें भारत की आजादी की लङाई के 100 से भी अधिक शहीदों के सचित्र, संक्षिप्त परिचय उपलब्ध हैं. संयोग से मेरी मुलाकात श्री शंकर जी सोनी से हो गई और बातचीत के दौरान यह सुखद रहस्योद्घाटन हुआ कि उनका भी पारिवारिक संबंध मेरे पुराने कस्बे रावतसर से रहा है.

आगे उन्होंने बताया कि इस साइट पर गुमनाम शहीदों की जानकारी अपलोड करने की प्रक्रिया अनवरत जारी है. शहीदों के प्रति उनके इस अतुलनीय प्रयास की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है. कार्यक्रम की समाप्ति पर प्रसिद्ध साहित्यकार और TCH नामक U-Tube channel के श्री अशोक पाण्डेय से भी मिलने का अवसर प्राप्त हुआ. बङी संख्या में एक साथ शहीदों के परिजनों से रू-ब-रू होना और उनको सम्मानित होते हुए देखना, निःसंदेह एक दुर्लभ, अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव था, आयोजकों को हृदयतल से साधुवाद.




प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार अशोक पाण्डेय
के साथ लेखक




शहीद गयाप्रसाद के परिजन के साथ लेखक



शहीदों के परिजनों के साथ लेखक

श्री शंकर सोनी के साथ लेखक


Exhibition of martyrs



Exhibition of martyrs


Exhibition of martyrs







Smt. Nirmala Verma


Sh Dayaram Verma



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